पाश या यूँ कहे विद्रोही कवि पर विद्रोह किसके लिये था और क्यों था कभी मौका लगे तो ज़रूर जानने की कोशिश करना .....मैं तो उनकी लिखी हुई एक कविता आप के लिए पोस्ट करूँगा ..............
हम तोह लडेंगे उदास मौसम के लिए
हम लडेंगे साथी गुलाम इचा के लिए
हम चुनेगे साथी जिंदगी के टुकड़े
हथोडा अब भी चलता है ,उदास निहाई पर
हल अब भी चलते है चीखतीहुई धरती पर
ये काम हमारा नही बनता ,प्रशन चलता है
प्रशनो के कंधे पर चढ़ कर हम लडेंगे साथी
कतल हुए ज़ज्बों की कसम खा कर
बुजी ही नज़रों की कसम खाकर
अधूरी है ...........................
हम तोह लडेंगे उदास मौसम के लिए
हम लडेंगे साथी गुलाम इचा के लिए
हम चुनेगे साथी जिंदगी के टुकड़े
हथोडा अब भी चलता है ,उदास निहाई पर
हल अब भी चलते है चीखतीहुई धरती पर
ये काम हमारा नही बनता ,प्रशन चलता है
प्रशनो के कंधे पर चढ़ कर हम लडेंगे साथी
कतल हुए ज़ज्बों की कसम खा कर
बुजी ही नज़रों की कसम खाकर
अधूरी है ...........................
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