एक दोस्त हैं जिन्हें पारकर पेन से ऐतराज़ था , कहते थे अछा लिखने के लिये पारकर पेन की क्या ज़रूरत है ...ठीक ही कहते थे पर सुना है भाई साहब आब रिपोर्टर से प्रोड्यूसर हो गए है सुबह ही उनकी शर्ट में पारकर पेन के दर्शन हुए तो लगा भइया का आधुनिकरण हो गया है ....जब पुछा गया ...आप को ऐतराज़ था इस कलम से तो बोले कुछ नही बस ऐसे ही ले लिया ...........
आज उन्हें नए रूप देखा कल तक जो ब्रा मद करवया करते थे .....आज वो सुबह से शाम तक कीबोर्ड तोड़ते हुए पाए जाते है ....शब्द भी बदल गए है उनके ... कल तक जो शूट पर जाए करते थे खबरें दिया करते थे ...अब वो सुबह आते ही अस्सिग्न्मेंट डेस्क से स्क्रिप्ट मांगते है कोई ख़बर है विशेष लायक ... समय बदल गया है नही भइया अब प्रोड्यूसर हो गए है .......... आब सारा दिन क्रोमा स्टिंग में उलझे रहते है ...
भइया जुर्म की खबरें किया करते थे तो ज़ाहिर है जो विशेष वो करेंगे वो जुर्म की दुनिया से ही होंगी बस ये ही नही बदल है उनकी रोज़ की दिहाडी में .... पर जहा तक मैं सोच पा रहा हूँ वो दिन भी दूर नही है जब वोह कैटरिना के ठुमकोंऔर बिपाशा के अदायों अपर भी लिखते नज़र आयें गे
भइया को प्रोड्यूसर बनने बहुत बधाई ........
ठीक भी है समय के साथ बदलना भी होगा न
आज उन्हें नए रूप देखा कल तक जो ब्रा मद करवया करते थे .....आज वो सुबह से शाम तक कीबोर्ड तोड़ते हुए पाए जाते है ....शब्द भी बदल गए है उनके ... कल तक जो शूट पर जाए करते थे खबरें दिया करते थे ...अब वो सुबह आते ही अस्सिग्न्मेंट डेस्क से स्क्रिप्ट मांगते है कोई ख़बर है विशेष लायक ... समय बदल गया है नही भइया अब प्रोड्यूसर हो गए है .......... आब सारा दिन क्रोमा स्टिंग में उलझे रहते है ...
भइया जुर्म की खबरें किया करते थे तो ज़ाहिर है जो विशेष वो करेंगे वो जुर्म की दुनिया से ही होंगी बस ये ही नही बदल है उनकी रोज़ की दिहाडी में .... पर जहा तक मैं सोच पा रहा हूँ वो दिन भी दूर नही है जब वोह कैटरिना के ठुमकोंऔर बिपाशा के अदायों अपर भी लिखते नज़र आयें गे
भइया को प्रोड्यूसर बनने बहुत बधाई ........
ठीक भी है समय के साथ बदलना भी होगा न
jivan main har kam sikhna chaheye....achi baat hai...bahut jala E.P. bhi banoge or editor CHATRI bhi.....
हाँ भाई... अपन तो स्टेपनी हैं... जहाँ भी लगा दोगे फिट हो जायेंगे... और नौकरी भी तो बचानी है... खैर काम को लेके मुझे कोई भ्रम नहीं है... काम के दौरान मैंने ओबी की तार भी बिछायी है और कैमरा भी चलाया है... अब प्रोडूसर भी सही...
खैर इस सभी सवालों का एक ही जवाब है...
मेरे बारे में राय मत कायम रखना,
मेरा वक़्त बदल जायेगा तुम्हारी राय बदल जायेगी..
आज आपकी पोस्ट पढने के बाद मुझे भी लग रहा है की शायद मुझे खुद के बारे में सोचना पड़ेगा...
देखिये शायद कल मेरे ब्लॉग में...
धन्यवाद...!!!
GOOOD COMMENT.
जेब में भले ही पारकर हो... पर पर फिर भी रिंग टोन में भी तनख्वाह मांगने वाले गाने लगाने वाले पत्रकार की येही बेबसी है की समय के साथ उसे बदलना पड़ता है...
स्टेपनी की एक अलग उपयोगिती होती है।वक्त पड़ने पर अगर न मिले तो लोग एसे ढूड़ते है जैसे प्यासा पानी को भक्त भगवान को।
लेकिन इसकी जरुरत कब पड़ती है। ये तो सबको पता ही है।अब आप मिल गयें हैं तो आपकी कृपा से सभी थोड़ी देर ....मतलब थोड़ी दूर और सही।
छा गए गुरु, अभी तो किया था तुमने शुरू, आते ही बल्लेबाजी कर दी, बड़े बड़ों की छुट्टी कर दी, जयंत भाई को मुबारक हो, रिपोर्टर से प्रोड्यूसर हो गए, प्रेमी थे, दीवाना हो गए..