आवाज़ एक acha ब्लॉग है कस्बा ब्लॉग से इस के बारे में पता चला था to मैं भी आवाज़ के साथ जुड़ गया समय लगे तो ज़रूर एक बार देखना अगर आप हिन्दी साहित्य में रूचि रखते है तोः ख़ुद को नही रोक पाएंगे
अरुण मित्तल अद्भुत" जी की एक ग़ज़ल बहुत पसंद आई
कौन कहता है गम नहीं है रे
आँख ही बस ये नम नहीं है रे
चाहता है तू आदमी होना
आरजू ये भी कम नहीं है रे
मैं हूँ, बस मैं ही, सिर्फ मैं ही हूँ
एक भी शब्द "हम" नहीं है रे
थी दुआ जिसकी बेअसर उसकी
बद्दुआ में भी दम नहीं है रे
वो मेरा हमसफ़र तो होगा पर
वो मेरा हमकदम नहीं है रे
दे और छीन ले आँसू
इससे बढ़कर सितम नहीं है रे
खुद को 'अद्भुत' मैं मान लूं शायर
मुझको इतना भी भ्रम नहीं है रे
अरुण मित्तल अद्भुत
बहुत बढ़िया
अरुण मित्तल अद्भुत" जी की एक ग़ज़ल बहुत पसंद आई
कौन कहता है गम नहीं है रे
आँख ही बस ये नम नहीं है रे
चाहता है तू आदमी होना
आरजू ये भी कम नहीं है रे
मैं हूँ, बस मैं ही, सिर्फ मैं ही हूँ
एक भी शब्द "हम" नहीं है रे
थी दुआ जिसकी बेअसर उसकी
बद्दुआ में भी दम नहीं है रे
वो मेरा हमसफ़र तो होगा पर
वो मेरा हमकदम नहीं है रे
दे और छीन ले आँसू
इससे बढ़कर सितम नहीं है रे
खुद को 'अद्भुत' मैं मान लूं शायर
मुझको इतना भी भ्रम नहीं है रे
अरुण मित्तल अद्भुत
बहुत बढ़िया
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