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deepak sharma

जिंदगी तुने मुझे दिया क्या है

कुछ न समज पाया की तेरी रजा क्या है

मैंने तो हर रोज़ की थी एक दुआ .....

उस दुआ का असर न हुआ तो मेरी खता क्या है

रोज़ मरता हूँ जीने और जिंदा रहने के बीच

कहते हैं लोग न हुआ करो उदास

तुम ही बताओ की रास्ता क्या है

वो जिसे चाहा था सब से जादा वो भी चला गया

अब हौसला क्या है .................

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