deepak sharma
एक कहानी और वो कड़ी चावल ... दो दोस्त थे साथ काम करते थे एक ह ऑफिस में दोनों जर्नलिस्ट एक दिन दोनों शाम को जल्दी ऑफिस से जल्दी फ्री हो गए करें क्या ..... घर के पास के मॉल तोह इतना घूम लिये थे की अब वह्याँ जाने का मन नही करता ...रस्ते भर ऑटो में यही सोचते हुए घर की और जा रहे थे ..... भाईसाहब को ऑटो में बैठते ही ऐसे नींद आती थी मानो उन्हें सपनो का बिस्तर मिल गया हो .........कोई नही ..... तय किया आज हम विण्डो शौपिंग करेंगे राजोरी गार्डन में ..... ऑटो रुका तो हम घूमने लगे लगभग हर दुकान में गए होंगे हम कभी शर्ट फेन के देखि तो कबी टी शर्ट पर कुछ समाज मैं नही आया .........
उस दिन लगभग हम ने ६ जानते ऑफिस से निकलने के बात उस मार्केट में वास्ते केए और लिया कुछ भी नही ......फ़िर सोचा अब हम बुक लिखेंगे " हाउ तू किल यौर टाइम "

जब पैसे हैं तो रेस्तुरांत वाला घर का एड्रेस सुन कर ही खाना बेज देता था १ बुट्टर पनीर मसाला और ७ बुट्टर रोटी सिरके वाला प्याज़ जादा .............
और जब पैसे नही हो तोह भाई बोलता था कड़ी चावल १० मं मनें बन जायेंगे ......

कड़ी चावल का किस्सा नेक्स्ट पोस्ट में
2 Responses
  1. Unknown Says:

    शायद ये वक़्त की कमजोरी है.... रोटी-रोजगार से जुड़े हर आम आदमी की कहानी... जब जेब में पैसे होते हैं वो बर-कोस और सीसीडी के नीचे बात ही नहीं करता और जब पैसे नहीं तो घर के किचेन में गर्मी से परेशां होते...
    कोई नहीं भाई... सुनते हैं की आम आदमी यानि हमारी जिंदगी तेजी से तरक्की कर रही है... भले ही सरकार की फाइलों में ही सही...
    अपने दिन भी आयेंगे बड़े...
    www.nayikalam.blogspot.com


  2. जयंत का हाल रोहित से पूछना और रोहित का जयंत से. दोनों एक ही थैले के चट्टे बट्टे बने हैं, और खूब विण्डो शोपिंग हो रही है.


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